रोसड़ा विधानसभा: नेताओं की जीत पर जनता को केवल मायूसी, विकास अब भी दूर की कौड़ी

- Reporter 12
- 09 Mar, 2025
मोहम्मद आलम
रोसड़ा विधानसभा क्षेत्र हर चुनाव में नई उम्मीदों के साथ जागता है, लेकिन नतीजा हमेशा निराशाजनक ही साबित हुआ है। चाहे सांसद रहे हों या विधायक, जनता को बार-बार सिर्फ वादे मिले हैं और विकास आज भी दूर की कौड़ी बना हुआ है।
नेताओं के वादे और जनता की निराशा:
जनता का आरोप है कि अब तक जितने भी प्रतिनिधि यहां से जीते, उन्होंने केवल राजनीति की रोटियां सेंकीं, लेकिन इलाके की समस्याओं को अनदेखा किया। नतीजतन सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मामले में रोसड़ा लगातार पिछड़ता चला गया।
सड़कें बनी जनता की सबसे बड़ी परेशानी:
क्षेत्र की सड़कें जर्जर हालत में हैं। बरसात में गड्ढों में पानी भर जाता है और लोगों को आवागमन में भारी मुश्किलें उठानी पड़ती हैं। कई गांव आज भी पक्की सड़क की राह देख रहे हैं।
शिक्षा व्यवस्था बदहाल:
इलाके के स्कूलों की स्थिति चिंताजनक है। कहीं शिक्षक नहीं हैं तो कहीं भवन जर्जर हालत में हैं। उच्च शिक्षा की सुविधाओं के अभाव में छात्रों को पलायन करना पड़ता है।
स्वास्थ्य सेवाओं की खस्ता हालत:
रोसड़ा अनुमंडलीय अस्पताल से लेकर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तक में डॉक्टरों और दवाइयों की कमी आम बात है। गरीब मरीजों को बड़े शहरों का रुख करना पड़ता है।
बिजली और पानी की किल्लत:
बिजली कटौती और खराब ट्रांसफार्मर ने लोगों का जीना मुश्किल कर दिया है। वहीं स्वच्छ पेयजल की व्यवस्था आज भी अधूरी है।
रोजगार के अवसर नदारद
स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार का कोई ठोस साधन नहीं है। उद्योग-धंधे का अभाव और खेती पर निर्भरता ने लोगों को आर्थिक रूप से कमजोर बना दिया है।
रोसड़ा की राजनीतिक उपेक्षा भी बड़ी वजह:
स्थानीय लोग यह भी मानते हैं कि रोसड़ा का पिछड़ापन सिर्फ नेताओं की लापरवाही नहीं, बल्कि राजनीतिक षड्यंत्र का नतीजा भी है।रोसड़ा पहले अलग लोकसभा क्षेत्र हुआ करता था,लेकिन राजनीतिक कारणों से इसे समस्तीपुर लोकसभा में तब्दील कर दिया गया।सिंघिया प्रखंड भी पहले विधानसभा क्षेत्र था, मगर उसे भी राजनीति के तहत खत्म कर दिया गया।आज स्थिति यह है कि सिंघिया प्रखंड को रोसड़ा विधानसभा में जोड़ दिया गया, लेकिन विकास की तस्वीर नहीं बदली।जनता का कहना है कि यह सब राजनीतिक समीकरणों के कारण हुआ, जिससे रोसड़ा की पहचान और ताक़त दोनों कमज़ोर होती चली गईं।रोसड़ा विधानसभा की जनता अब यह सवाल पूछ रही है कि आखिर कब तक उन्हें केवल वादों के सहारे जीना होगा? कब यहां के युवाओं को रोजगार, बच्चों को बेहतर शिक्षा और मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सुविधा मिलेगी? लोगों का कहना है कि अब समय आ गया है कि राजनीति से ऊपर उठकर रोसड़ा को उसका असली हक और विकास दिलाया जाए।
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